Wednesday, 29 June 2011

कन्नूर से ....


ज्ञानेन्द्रपतिजी की नदी और साबुन कविता पर एक सराहनीय प्रयास।श्री लक्षमणनजी(जी.एच.एस.एस,कुजिमंगलम) से तैयार किए गए ये प्रसन्टेशन और अनुवाद पढ़िए।
लक्षमणनजी को बधाइयाँ और धन्याद।
डौनलोड करें
१.प्रसन्टेशन (ओ.डी.टी. लिनक्स केलिए)
२.प्रसन्टेशन (पी.डी.एफ)
३.कविता का मलयालम अनुवाद (पी.डी.एफ)

Friday, 24 June 2011

पशु-पक्षियों की विचित्र योग्यताएँ ( हिंदी वेबसाइट से साभार)

ONLY FOR EDUCATIONAL PURPOSE
जी.के. अवधिया के द्वारा 20 Apr 2011. को ज्ञानवर्धक लेख कैटेगरी के अन्तर्गत् प्रविष्ट किया गया।
 गौरा-अतिरिक्त वाचन केलिए
द्धिमान होने की वजह से हम मनुष्य को संसार का योग्यतम प्राणी समझते हैं किन्तु प्रकृति ने पशु-पक्षियों को कुछ ऐसी योग्ताएँ प्रदान की हैं जिसका कि मनुष्य के पास नितान्त अभाव है। यही कारण है कि आज भी भूकंप की भविष्यवाणी के लिए मनुष्य अपने द्वारा बनाए गए यंत्रों के अलावा पशु-पक्षियों के असाधारण व्यवहार पर भी निर्भर है। आपको शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि चूहे, नेवले, साँप, कनखजूरे जैसे प्राणी किसी विनाशकारी भूकंप के आने से बहुत दिनों पहले ही अपने घरों को त्यागकर किसी सुरक्षित स्थान में चले जाते हैं। इस बात के अनेक सबूत पाए गए हैं कि भूकंप आने के कुछ सेकंड से लेकर कई सप्ताह पूर्व से ही अनेक जानवर, मछलियाँ, पक्षी तथा कीड़े-मकोड़े विचित्र प्रकार के व्यवहार करने लगते हैं।

दिसम्बर 2004 में आए सुनामी, जिसने इण्डोनेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका में भयंकर तबाही मचाई थी, से श्रीलंका का याला नामक अभ्यारण्य (animal reserve) बुरी तरह से विनष्ट हुआ था और उसमें अनेक पर्यटक मारे गए थे किन्तु आश्चर्य की बात है कि वहाँ संरक्षित बन्दरों, चीतों, तेन्दुओं, हाथियों जैसे 130 प्रजाति के पशुओं में से किसी का भी मृत शरीर नहीं पाया गया। आखिर उन प्राणियों ने विशाल समुद्री लहरों से अपनी रक्षा कैसे कर लिया?
भूकंपीय घटनाओं के पूर्व ही उनके विषय इन प्राणियों के द्वारा जान लेने में कौन सा तंत्र कार्य करता है इस विषय में आज चीन और जापान में बहुत सारे शोधकार्य हो रहे हैं।
केवल भूकंप ही नहीं बल्कि सूर्य या चन्द्र ग्रहण जैसी घटनाओं का भी बोध इन प्राणियों को हो जाता है जबकि हम इन प्राणियों को अबोध ही कहते और समझते हैं। बन्दर जैसा चंचल शायद ही कोई अन्य जीव हो किन्तु ग्रहण आरम्भ होने के पूर्व ही बन्दर न केवल अपनी चंचलता अर्थात उछलना-कूदना बंद कर देता है बल्कि भोजन भी त्याग देता है तथा किसी पेड़ की शाखा पर गुमसुम सा चुपचाप बैठ जाता है। और भी अनेक पशु-पक्षी हैं जो ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण लगने के पहले ही सुरक्षित स्थानों में चले जाते हैं।
सूर्य और चन्‍द्र ग्रहण की जानकारी भी इन अबोध जीवों को होती है। हर समय उछल-कूद करने वाला बंदर ग्रहण शुरू करने से पहले भोजन त्‍याग देता है और चुपचाप पेड़ की डाल पर बैठ जाता है। ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए ये पशु-पक्षी अपने सारे क्रिया-कलापों को छोड़कर सुरक्षित स्‍थानों पर चले जाते हैं।
क्या आप जानते हैं कि तोते भी अपने आसपास घटने वाली घटनाओं के विषय में उनके घटित होने के पहले ही जान लेते हैं? सामान्य तौर पर चहकते रहने वाले तोतों का स्वर किसी अशुभ घटना होने के पहले आश्चर्यजनक तौर पर बदल जाता है। एक जानकारी के अनुसार तोते की इसी विशेषता के कारण प्रथम विश्‍वयुद्ध के दौरान पेरिस के ‘एफिल टॉवर’ में तोतों को रखा गया था, ताकि ये हवाई हमले की पूर्व सूचना दे सकें।
मैना तो एक प्रकार से मौसम विज्ञानी ही होती है। यह पक्षी वर्षा की सूचना 12 से 36 घंटे पहले दे सकने का सामर्थ्य रखती है। यदि वर्षा या तूफान आने की संभावना होती है, तो मैना जोर-जोर से चहकने लगती है। भीषण वर्षा की जानकारी देने के बारे में तिब्‍बत और दार्जिलिंग की पहाडि़यों पर पाये जाने वाले ‘सारस’ अत्‍यंत कुशल होते हैं। इन पहाड़ी सारसों को सुरक्षित स्‍थानों, पहाडी चट्टानों और गुफाओं की ओट में जाते देखकर स्‍थानीय लोग भी अपने सामान को लेकर सुरक्षित स्‍थानों पर चले जाते हैं।
जापान में एक मछली पाई जाती है, जो रंग बदलती रहती है। उनके बदलते रंग से वहां के लोग मौसम का अनुमान लगाते हैं। मछली का रंग लाल हो तो वर्षा आने की संभावना होती है। यदि उसका रंग हरा हो तो सर्दी बढ़ने का अनुमान होता है और यदि वह सफेद रंग की हो जाए, तो गर्मी होने की संभावना रहती है।
मधुमक्खियां वर्षा के प्रति अत्‍यंत संवदेनशील होती हैं। इन्‍हें कुछ घंटों पहले पता चल जाता है कि वर्षा होने वाली है। तब ये अपने छत्‍तों से बाहर निकल कर उसके चारों ओर मंडराने लगती हैं। धीरे-धीरे इनका घेरा बड़ा हो जाता है और थोड़ी देर में उड़ कर सुरक्षित स्‍थान पर चली जाती हैं। वर्षा समाप्‍त होने पर ये फिर से अपने छत्‍तों में लौट आती हैं।
दक्षिण अमेरिका में ‘लेहा’ नामक मकड़ी पेड़ों पर अपना जाला बनाती है। जब यह मकड़ी अपने ही बनाये जाल को तोड़ देती है, तो 24 घंटों के भीतर तेज वर्षा और आंधी आने की चेतावनी होती है। सफेद कबूतर कतार बनाकर ऊंचे आसमान में उड़ान भरने लगें, तो जाना जाता है कि बिना मौसम बरसात होने वाली है। वर्षा आने से पहले छोटी काली चीटियां अपने अंडों को लेकर ऊंचे स्‍थानों पर चली जाती हैं। मेंढक की टर्र-टर्र से सहज अंदाजा होने लगता है कि वर्षा होने वाली है। घरेलू गौरैया जब पानी या धूल में उछल कूद करके नहाने लगे, तो यह भी वर्षा आने की पूर्व सूचना मानी जाती है।
पशु-पक्षियों की इस प्रकार की अतीन्द्रिय क्षमताएँ आज भी वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है।
आंशिक जानकारी उजाला मासिक (जुलाई 2010) से साभार

Tuesday, 7 June 2011

A ICT Enabled TM on Nadi Aur Saboon( with links)

                 ഈ TM  ഒരുദാഹരണം മാത്രമാണ്,മാതൃകയല്ല.ഇതില്‍ നിന്ന് താങ്കള്‍ക്കെന്തു കിട്ടി എന്നറിയുന്നതിനോടൊപ്പം ഇതിലില്ലാത്തതെന്തൊക്കെ  താങ്കള്‍ കണ്ടെത്തി എന്നറിയാനും ഞങ്ങള്‍ക്ക്  ജിജ്ഞാസയുണ്ട്.ഹിന്ദീ അധ്യാപക സമൂഹത്തിനാകമാനം പ്രയോജനപ്പെടുന്ന ഒരു കൂട്ടായ്മയിലേക്ക്  താങ്കളും ചേരൂ!!!

कक्षा १०
इकाई : बसेरा लौटा दो
पाठभाग : नदी और साबुन

अब्दुल रज़ाक पी, रघुवीर, जयदीप के

समस्याक्षेत्र : जलस्थल संसाधनों के प्रबंधन में वैज्ञानिकता का अभाव।
आशय एवं धारणाएँ : प्रकृति पर मानव के अनियंत्रित हस्तक्षेप से प्राकृतिक संपदा का शोषण बढना।

प्रक्रियाएँ
संबंध कथन:
बच्चो, पिछले साल नवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक की अंतिम इकाई में हम नॆ कौन सी समस्या और आशय पर चर्चा की थी?
छात्रों की प्रतिक्रियाओं को सूचीबद्ध करें।
जैसे:
१. अवैज्ञानिक जल प्रबंधन के कारण लोगों को सब कुछ छोड़कर पलायन
    करना पड़ता है।
२. पानी की कमी एक विकट समस्या है।
३. जल का महत्व जाननेवाले थे हमारे पूर्वज।
४. जल संरक्षण के अच्छे नमूने ।
(यहाँ क्लिक करें)
ठीक है वच्चो, आप ने ठीक ही कहा है। देखो, मैं कुछ दृश्य आप को दिखाता हूँ। देखिए।
SLIDE I (यहाँ क्लिक करें)
वच्चो, आपने दृश्य देखे है न? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
आपने कौन-से दृश्य देखे ? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
इस पर आपका विचार क्या है? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
दृश्य किस विषय की चर्चा कर रहे हैं? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
प्रदूषण के कारण क्या-क्या हो सकते है?
(छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
प्रदूषण से जल स्रोतों की रक्षा कैसे संभव है?
छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।
कहें, बच्चो, नदी के संबंध में लिखी एक कविता हमारी दसवीं कक्षा की पाठ्य पुस्तिका में है। देखिए।
प्रश्न करें।
बच्चो, पाठ्य पुस्तिका में कितनी इकाइयाँ है?
पहली इकाई कौन सी है?
पहली इकाई का पहला पाठभाग कौन सा है?
कवि और कविता का नाम क्या है?
निर्देश दें, कि बच्चो, अब आप लोग नदी और साबून नामक कविता का वाचन करें।

जो समझे है, सही चिह्न लगाएँ।
जो नहीं समझे है, रेखांकित करें।
जो बहुत अच्छे लगे, आश्चर्य चिह्न लगाएँ।

नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) TB
(आ सी टी द्रारा पूरी कविता दिखाएँ।)
कविता में कौन-कौन से जीवजंतुओं के नाम है?
बाघ, मछली, कछुआ, हाथी
इन्हीं नामों के आधार पर दल बनाएँ।
दल में शंका समाधान का अवसर दें।

          दुबली =മെലിഞ്ഞ
          मैली-कुचैली =മലിനമായ
          उतराई =പൊന്തിക്കിടക്കുക
          जुठारना =എച്ചിലാക്കുക
          पीठ(स्त्री) =പുറം
उलीचना =കോരിക്കളയുക
कारखाना =FACTORY
तेज़ाबी पेशाब =അമ്ല ജലം
झेलना =സഹിക്കുക
बैंगनी =വയലറ്റ്
          त्वचा =തൊലി
          सिरहाना =തലക്കല്‍
          टिकिया =കട്ട
          हार =തോല്‍വി

अन्य दलों से शंका समाधान का अवसर दें ।
कविता का विश्लेशण करें।
SLIDE 2 (यहाँ क्लिक करें)
नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) शब्दार्थ
नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) mpg

विश्लेषणात्मक प्रश्न करें


  • यहाँ कौन दुबली हो गई है?
  • एक व्यक्ति का दुबला होने का क्या क्या कारण हो सकते हैं?
  • तो एक नदी का दुबला होने का क्या क्या कारण हो सकते हैं?
  • क्या आपने किसी नदी को दुबली होते / प्रदूषित होते देखा है? इसके क्या क्या कारण हो सकते हैं?
  • मछलियाँ किस तरह उतराई है?
  • इच्छाओं के मर जाने पर क्या होता है?
  • मरी हुई मछलियाँ किसका प्रतीक हैँ?
  • तुम्हारे दुर्दिनों के दुर्जल में- कवि ने एसा क्यों कहा है?
  • बाघों के................सहती सानंद।-नदी पर पशु पक्षि और मानव का समान अधिकार है।पर किसके हस्तक्षेप से नदी को हानी पहुंचती है?
  • पेशाब शब्द से कविने आशय को अधिक तीष्ण बनाया है। क्या आप इससे सहमत है?
  • हिमालय किसका प्रतीक है?
  • भारतीय संस्कृति में हिमालय का स्थान क्या है? (पहरेदार की भूमिका)
  • उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ हिमालय से उत्पन्न होती हैं।तो हम कह सकते हैं कि नदी हिमालय की पुत्री है।हमारे रक्षक की पुत्री के साथ हमारा यह व्यवहार क्या ठीक है?
  • नदी किसके सामने हार गई और क्यों?
  • हथेली भर की एक साबुन की टिकिया- से क्या तात्पर्य होगा?
  • नदी सभी प्रकार के हमलाओं के विरुद्ध लड़ती रही। गाँव-गाँव में पानी पहुँचाने केलिए। पर अज्ञता से सामान्य जनता भी प्रदूषण की प्रक्रिया में भाग लेना का दृश्य(हथेली भर की एक साबुन की टिकिया- से ) देखकर नदी हताश हो गई और अपनी हार मान ली।उसने सोचा होगा-"अब मैं किसकेलिए लडूँ?”
    इस व्याख्या पर आप का विचार क्या है?
  • नदी को प्रदूषण से बचाने केलिए हम क्या क्या कर सकते हैं?
कविता का वैयक्तिक रूप से आस्वादन टिप्पणी लिखने का निर्देश दें।
दल में चर्चा करके परिमार्जन करने का निर्देश दें।
दलों से उपजें एकत्रित करें और अदल-बदलकर अन्य दलों में दें।
पूछें, आस्वादन टिप्पणी की मूल्याँकन बिंदुएँ क्या-क्या है?
उत्तरों को सूचीबद्ध करें। (यहाँ क्लिक करें)

कवि और कविता का परिचय
भावपक्ष
शिल्पपक्ष
भाषा
प्रासंगिकता
अपना मत

पूछें, तो आस्वादन टिप्पणी की मूल्याँकन सूचक क्या-क्या है?
(यहाँ क्लिक करें)
दलों में मिली आस्वादन टिप्पणी का मूल्यांकन करने का निर्दोश दें।
हर दलें से मूल्यांकन संबंधी टिप्पणी करने का निर्देश दें।
प्रस्तुतीकरण करवाएँ।
अद्यापक अपना प्रस्तुतीकरण करें।
(यहाँ क्लिक करें)
पाठ्यपुस्तक की मूल्यांकनफारमाट के आधार पर आस्वादन टिप्पणी का स्वनिर्धारण करें।
पुनर्लेखन करके पोरट फोलियो में संकलन करने का निर्देश दें।
(मलयालम परिभाषा)
(हिंदी)mp3 (1)
(मलयालम)Mp3

Saturday, 4 June 2011

पढिए,कुछ कहिए...

आह!लेकिन
स्वार्थी कारखानों का तेज़ाबी पेशाब झेलते
बैंगनी हो गई तुम्हारी शुभ्र त्वचा (ज्ञानेन्द्पति)

കാടുകള്‍ വെട്ടിവെളുത്തൂ കരിമണ്‍-
മേടുകള്‍ പൊങ്ങീ കമ്പനി വക്കില്‍
ആറുകളില്‍ കുടിവെള്ളം വിഷമായ്
മാറുകയാംകെടുരാസജലത്താല്‍
(വൈലോപ്പിള്ളി ശ്രീധരമേനോന്‍)