ज्ञानेन्द्रपतिजी की नदी और साबुन कविता पर एक सराहनीय प्रयास।श्री लक्षमणनजी(जी.एच.एस.एस,कुजिमंगलम) से तैयार किए गए ये प्रसन्टेशन और अनुवाद पढ़िए।
लक्षमणनजी को बधाइयाँ और धन्याद।
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१.प्रसन्टेशन (ओ.डी.टी. लिनक्स केलिए)
२.प्रसन्टेशन (पी.डी.एफ)
३.कविता का मलयालम अनुवाद (पी.डी.एफ)
बातचीत
ReplyDeleteगौरा और साथियाँ
गौरा :- अरे दोस्तो.....
कुत्ता:- गौरा.....
गौरा :- कल तू कहाँ था ?
कुत्ता:- मैं इधर-उधर घूम रहा था।
गौरा :- हमारी बिल्ली कहाँ है ? आज देखते ही नहीं।
बिल्ली:-अरे दोस्तो...!!
कुत्ता:- अरे बिल्ली...हम तुम्हारे बारे में कह रहे थे।
गौरा :- हाँ बिल्ली...इतनी देर तू कहाँ थी ?
बिल्ली:-मैं कोयल दीदी के पास थी।
गौरा :- कोयल दीदी के पास....!! वहाँ क्या बात है ?
बिल्ली:-वहाँ कोयल दीदी की गानालापन थी।
कुत्ता:- अरे,क्या गानालापन खतम हो गई ?
बिल्ली:-हाँ....अभी खतम हुआ है।
गौरा :- अरे,हमारे कोयल दीदी की गानालापन....!!मेरी प्रिय गायिका है दीदी।
कुत्ता &बिल्ली:- (एकसाथ) मेरा भी..
गौरा :- महादेवीजी की मोटर गाड़ी आ गई।देवीजी आई...बाँ....बाँ....बाँ....बाँ.........
देवीजी:-अरे! प्यारे..........कैसे है ?
गौरा :- देवीजी....अब तक हम सब आपकी प्रतीक्षा कर रही थी।
देवीजी:-देखो,तुम्हारे लिए मैं क्या लाई हूँ..?
गौरा :- अरे!हाय! दही-पेड़ा...हमारे लिए..!!!
कुत्ता:- मेरा प्रिय खाद्य है यह..
बिल्ली:-मेरा भी...
गौरा :- तीन दही-पेड़ा है...हम तीनो में बाँटूँ।
देवीजी:- अच्छा....तुम खालो...मैं अभी आऊँ...।
(खतम)
आष्नी सलीं
कक्षा 10
जी.एच.एस.पेरिंड्॰डाश्शेरी
ajnabiclub.blogspot.in
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